Swami Vivekanand |
Gaurakshak aur Gyani Part 2 (गोरक्षक और ज्ञानी भाग २)
गोरक्षक और ज्ञानी भाग ३
ज्ञानीः अगर ये तर्क तुम्हे नही मना पा रहा तो स्वामी विवेकानंदजी और स्वातंत्र्यवीर सावरकरजी की सीख जरूर मना लेगी।
गोरकक्षकः विवेकानंद और वीर सावरकरजी!
ज्ञानीः हॉं
हॉं, सुने तो हैं ना ये दो नाम?
गोरकक्षकः
दुनीयांमे कोईभी इंसान जो अपने आपको एक सच्चा हिंदु समजतां हैं, वो ये दो नाम भगवान
के बाद लेगा।
ज्ञानीः खाली
नाम लेकरही रूके हो की इन दो महान व्यक्तीयोंका कुछ साहीत्य, कमसे कम उनके बारे मैं
कुछ पढाभी हैं?
गोरकक्षकः
जी हॉं, नेताजी केहेते हैं...
ज्ञानीः यही
परेशानी का जड हैं मेरे वत्स! दो-चार सनकी लोग तुम्हे कुछ बताते हैं और तूम ‘बाबा
वाक्यम् प्रमाणम्’ बोलके मान लेते हो। कीसी भी चिज की तरफदारी या विरोध उस चिजके
बारेमें पुरी जानकारी लिये बगैर कैसे करते हो?
खैर, इन दोनोंने
गोरकक्षाके बारेंमें बहोतही क्रांतीकारी विचार प्रदर्शित किये हैं।
गोरकक्षकः
और वो क्या पंडीतजी?
ज्ञानीः उस
वक्त बोहत बडा सूखा पडा था। विवेकानंदजीके पास एक आद्मी अकालसमे गोसंवर्धन हेतू चंदा
मांगने आया। तब स्वामीजीने उसे कहा की “गाय का तो ठिक हैं लेकीन तूम सूखेसे पिडीत
लोगोंके लिये क्या कर रहे हो?”
सावरकरजीने
तो हिंदु धर्मको उसका खोया हुआ वैज्ञानिक दृष्टीकोन यानेके scientific base वापसदेने
हेतू काफी विस्त्रुत लेखन कीया हैं। उन्होने यहॉं तक कहॉं हैं की दुध ना देनेवाली
बुढी / बीमार गायोंसे अगर कोई गरीब छुटकारा पाना चाहे तो उसे गुन्हा नहीं सिर्फ गलत
माना जा सकता हैं।
कुछ समजे नेताजीके
अनुयायी?
गोरकक्षकः
हॉं लेकीन...
ज्ञानीः और
एक बात, कीसीभी धर्म की ताकत किसमें होती हैं?
गोरकक्षकः
वो धर्म मानने वाले लोगोंमें पंडीतजी। जितने जादा लोग, उतना बलशाली वो धर्म।
ज्ञानीः सही
कहॉं। और अगर किसीभी चिजको तूम डिव्हाईड करते हो या बाटते हो, तो वो चिज बढती हैं
या घटती हैं?
गोरकक्षकः
आसान हैं घटती हैं।
ज्ञानीः तो
फीर यहीं आसान बात जब तूम गोहत्या के आशंकाके कारण किसी दलीतकी – जो इस हिंदु धर्म
का अभिन्न अंग हैं – हत्या करते हो तब समझ नही आती?
पेहेलेसेही
सवर्ण लोगोंने धर्मके खिलाफ इतने सालोंसे जो उनपें अत्याचार किये हैं उससे वो हिंदू
धर्मसे दूर जा रहे हैं और उसमें तूम जैसे लोगोंकी हरकतोंसे दूरीयॉं और बढ रही हैं।
वक्त रेहेते
तूम लोग अभी सुधर नही गये तो एक समय ऐसा आयेगा की हिंदू धर्म पर रोने के लीयेभी कोई
हिंदू नही बचेगा!
गोरकक्षकः
हॉं सच कहॉं पंडीतजी!
ज्ञानीः और
दुसरी तरफ तूमलोग अपने मुस्लीमबंधूओंको तकलीफ देते हो। इससे बाकी कुछ नही पर तूम
आयसीस जैसे आतंकी संघटनोंका काम आसान कर रहे हो। वो तो चाहते हैं की ज्यादासे ज्यादा
मुस्लीम युवक उनके तरफ आकर्षित हो।
गोरकक्षकः
तो इसका मतलब हम कुछ ना करे? हॉंत पर हॉंत धरे बैठे रहे?
ज्ञानीः तुम्हे
अगर कुछ करनाही हैं तो हमारे आदरणीय पंतप्रधानजी का केहेना मानो. गायको प्लॅस्टीक
बॅग्स् खानेसे रोको। ईश्वर तुम्हारा भला करे। शुभम भवतू।
समाप्त
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Gaurakshak aur Gyani Part 3
Gyani: Wait my boy! If reasoning doesn’t convince you then teachings of Swami Vivekanand and Swatyantravir Savarkar definitely will.
Gaurakshak: Vivekanand and
Veer Sawarkar?
Gyani:
Yes! I hope you have heard these names!
Gaurakshak:
For any proud Hindu these two names are next to the God!
Gyani:
Great! So you must have read their books or at least have read about their
teachings?
Gaurakshak:
Yes of course! Netaji says...
Gyani:
Here lies the root cause of the problem. Couple of mad leaders like him
brain-wash you and then that becomes the universal truth for you! How can you support or oppose any thought, thing or person before being 100% sure
about it/him?
Anyways,
Swamiji and Sawarkarji have expressed revolutionary thoughts in context of
Cow protection.
Gaurakshak:
And what are those Punditji?
Gyani:
It was a time of great drought when one person came to Swamiji asking for the
fund for the welfare of cows. Then Swamiji told him “That’s fine. But what
about the welfare of drought affected humans?”
Even
Veer Sawarkarji has done extensive writing to give back the scientific base
to the Hindu religion. He has said that, it cannot be considered a crime
but just a mistake if a very poor owner of a cow thinks of getting rid of his old useless
cow.
So
have you taken any lesson netaji’s follower?
Gaurakshak:
Yes but...
Gyani:
One more thing - tell me; what is the real strength of any religion?
Gaurakshak:
It is in number of its followers Punditji.
Gyani:
Absolutely correct! Now tell me if you divide anything then will it increase
or decrease?
Gaurakshak:
Obviously it will decrease...
Gyani:
Then why don’t you apply the same logic when you think of harming any dalit
just on the suspicion of killing a cow or eating beaf? Do you forget that this
dalit too; like you and me is undisputedly a Hindu?
Atrocities
forced upon these downtrodden by the so called upper casts in the past have
already made them wary of Hinduism and to top that people like you still deny
them the respectable life they deserve.
Allow me little exaggeration; if
you continue this way, very soon Hinduism will be
an extinct religion.
Gaurakshak:
Yes, true Punditji!
Gyani:
On the other hand you trouble Muslims too. Don’t you see by doing this you
are making it easier for terrorist organizations like ISIS to recruit our
Indian brothers?
Gaurakshak:
So in short you are suggesting us not to do anything for the well being of a
cow?
Gyani:
No my boy; our honourable Prime Minster has recently made a profound
statement on this. He said, if you want to protect a cow, protect it from
eating plastic bags. What a realistic thought my boy! Do
work on it! May god be with you! Shubham Bhavatu!
The
End
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Swatyantraveer Sawarkar |