Panchagavya |
गोरक्षक और ज्ञानी भाग २
गोरक्षकः तो फिर गाय को अपने पुराणोंमें जो पवित्रता बहाल की हैं वो झूठ हैं क्या?
ज्ञानीः इस धरती के सबसे उपयुक्त प्राणीको – गायको उस समयके
जादातर मांसभक्षक समाजसे संरक्षीत रखने हेतू हमारे महान ऋषीयोंने निकाला हुआ वो बेहेतरीन
पैत्रा था वत्स. अगर मैं गाय की उपयुक्तता बयॉं करू तो तूम हक्के-बक्के रेह जाओगे।
मॉंके दूध के बात अगर कोई सर्वोत्तम आहार हैं तो वो हैं गायका दूध. अपि तू दूधसे
मिलनेवाली मलाई, दही, मख्खन, छाछ इ. सबमे काफी पोषणमूल्य होते हैं. वैसे देखा जाए
तो भैसका दूधतो नइ खोज हैं इंसान के लिये। दूध का छोडो, गायकी विष्ठातक उपयूक्त
हैं। आजभी कइ सारी आयुर्वेदीक दवाओंमे गोमुत्र इस्तेमालमे लाया जाता हैं। गीले गोबरसे
टूटी हड्डीओंको प्लास्टर लगता था, भवन निर्माण हेतू उपयोगमे लाया जाता था और सूखे
गोबरसे इंधन मिलता था। गायके नर बच्चेसे हल चलाया जाता था।
अगर भावनिक
तौरपे देखोगे तो गायके ऑंखों मैं जो अपार करूणा नजर आती हैं वो किसी और जीव मैं नही
पाओगे।
गोरक्षकः फिरसे हम मनुष्यकी सर्वश्रेष्ठतापे आके रूक गये।
ज्ञानीः और यहीं सच हैं मेरे पुत्र। गाय धर्मका एक अंग जरूर हैं, पर धर्म का मुलभूत आधारही 'मानवकी' भलाई हैं। मानवही धर्मके केंद्रमें हैं।
गोरक्षकः फिर इसका मतलब आप गोहत्याका या हत्यारोंका समर्थन
करते हैं।
ज्ञानीः नहीं वत्स; नहीं। मैंही नही, अपना धर्मतक किसीभी
त-हाके हिंसाका खंडंन करते हैं। फिर वो गायकी हो या मुर्गेकी। बल्की यही वो कारण
हैं जो भारतवर्षको दुनीयाका सबसे बडा शाकाहारी देश बनाता हैं।
गोरक्षकः अब तो आप गायको और मुर्गेको एकही स्तरपर ला आए।
ज्ञानीः बेशक! अभी कहे उपयोग छोड दो तो गाय उतनीही पवित्र
या उतनीही निम्नस्तरकी हैं जीतनाकी एक मुर्गा।
गोरक्षकः अगर ऐसा हैं तो मुझे ये बोलते हुए बिल्कुल खेद नहीं
होता की आप एक सच्चे हिंदू नही हैं।
ज्ञानीः अगर ये तर्क तुम्हे नही मना पा रहा तो स्वामी विवेकानंदजी
और स्वातंत्र्यवीर सावरकरजी की सीख जरूर मना लेगी।
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Gaurakshak aur Gyani Part 2
Gaurakshak: Then is the sacred state given to the cow in our scriptures wrong?
Gyani: Assigning a
sacred status to cow was the most efficient way our great Rishis devised to protect
the most valuable animal on earth. Cow needed protection from dominantly carnivorous
society existing then. You will be flabbergasted if I tell you how useful a
cow is. Cow milk is said to be next best thing to mother’s milk. Then its cream,
butter, curd, butter milk and clarified butter all have high nutrient contents.
Buffalo milk is a comparatively recent discovery of a man kind. Forget milk,
in fact cow’s excreta is also useful. Cow’s urine or gomutra has medicinal properties
and is still used in number of ayurvedik medicines. Wet cow dung, being a
good binding agent was used as a plaster for broken bones before plaster of
paris was discovered. It was also used in building homes. Whereas dried dung
was used as fuel. Plus, cow’s male calf could be put to use in farming.
So
basically there are innumerable uses of cow. On emotional level, you will be
touched by the compassionate eyes of a cow. No other animal projects this
emotion strongly associated with motherhood.
Gaurakshak: Punditji, this
again boils down to the supremacy of human beings.
Gyani: This exactly
is a case my boy. Cow is part of a religion. But the whole concept of religion
is to better the human life. So the focal point is human.
Gaurakshak: So you are justifying
the killing of cows or at least supporting the culprits.
Gyani: I am not son;
I am not! Neither me nor our religion supports killing of any creature. Let
it be a cow or a chicken. This exactly is a reason why vegetarianism is so
popular in India.
Gaurakshak: But you at least
mean that a cow is as sacred or as sundry as a chicken.
Gyani: Yes! Cow devoid
of the above uses is as sundry as a chicken.
Gaurakshak: Then I am sorry to say this Punditji but you are not a true Hindu!
Gyani: Wait my boy!
If reasoning doesn’t convince you then teachings of Swami Vivekanand and
Swatyantravir Savarkar definitely will.
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