गोरक्षक और ज्ञानी भाग १
गोरक्षकः पंडीतजी, अपने पुरानोंके अनुसार, कीसी भी आत्मा का अंतीम उद्देश क्या होता हैं?
ज्ञानीः मोक्ष. मतलब जन्म और मृत्यू के चक्र से हमेशा के लीये मुक्ती।
गोरक्षकः तो फिर क्या कोई भी जीव मोक्ष प्राप्त कर सकता हं?
ज्ञानीः नही! सिर्फ हम इंसान अपने गुरु के आशिर्वादसे मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं।
गोरक्षकः मतलब मनुष्य छोडकर अन्य प्राणीयोंको मनुष्य जन्म प्राप्त करने के बाद ही मोक्ष मिल सकता हैं।
ज्ञानीः बिलकुल सही पेहेचान वत्स।
गोरक्षकः गाय को भी नही पंडीतजी?
ज्ञानीः ना!
गोरक्षकः तो फिर इसका मतलब हुआ की सब प्राणीयोंमे यहॉ तक गौमातासेभी इन्सानही सर्व श्रेष्ठ हैं।
ज्ञानीः इसमे अहंकार ना देखो तो यही सच हैं।
गोरक्षकः क्या अपने पुराणोंमे सचमें यहीं लिखा हैं पंडितजी?
ज्ञानीः हां वत्स! यहीं लिखा हैं! पर तूम इतने साशंक क्यूं हो पुत्र?
गोरक्षकः क्यूं के नेताजी केहेते हैं की गोहत्या या गोमांससे जुडे किसीभी इन्सान को भयंकर दंड दो! वे केहेते हैं अपने देशका कानूनभी इसे अपराध मानता हैं।
ज्ञानीः अब ऐसा देखो, पेहेले तो अगर ये कानूनी अपराध हैं तो अपराधी को सजा देने का हक्क सिर्फ और सिर्फ कानून का हैं। तूम्हारा या तुम्हारे नेताजी का नही। और दुसरी बात; नेताजी जैसे लोगोंसे भरे हुए देश मैं ये कानून मतलब अश्वत्थामाके हात मैं ब्रह्मास्त्र! बडे शत्र के साथ बडी जिम्मेवारीभी आती हैं। आपके नेताजी जैसे गैरजिम्मैदाराना पागलोंसे तो खाली विनाशही हो सकतां हैं।
गोरक्षकः तो फिर गाय को अपने पुराणोंमें जो पवित्रता बहाल की हैं वो झूठ हैं क्या?
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Gaurakshak aur Gyani Part 1
Gaurakhsak: Punditji, what is the
ultimate aim of a soul as per the Hindu scriptures?
Gyani: It is to attain the
salvation or Moksha as it is called. It is freedom from the cycle of birth
and death.
Gauraskhak: Then can any living being
attain this Moksha?
Gyani: No! Only humans can – with
help of his / her Guru.
Gaurakshak: Are you sure Punditji? I
mean are you sure no animal can attain moksha unless and until he is reborn
as a human being?
Gyani: Yes! You are right my son!
Gaurakshak: Not even a cow Punditji?
Gyani: No!
Gaurakshak: But this then means Humans
are superior to animals even though that animal is a cow!
Gyani: Indeed!
Gaurakshak: Punditji are you sure this
has been said and written in our religious texts?
Gyani: Yes by all means it is
strictly as per our scriptures. But why are you asking this my son?
Gaurakshak: Because our netaji says it
is our duty to severely punish a person who is killing a cow or is in
possession of beef. He says even Indian law states that.
Gyani: There are two aspects to
this. 1st of all, if
it is forbidden by law, then let the legal system punish the offender. You or
your netaji have no authority to do so. Secondly, this law when used by
people like netaji is similar to Brahmastra in the hands of Ashvatthaman!
Great weapon calls for great responsibility my boy! It is disastrous in the
hands of irresponsible fanatics like your netaji.
Gaurakshak: Then is the sacred state
given to the cow in our scriptures wrong?
...To be continued
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Mankawada is a Marathi word which means one who can know whats going on mind... Though generally its considered that it would be an another person but here is an attempt to know my own mind... सामान्यतः मनकवडा या शब्दाचा अर्थ दुसर्याचे मन जाणणारा असा होतो पण हा प्रयत्न आहे स्वतःचं मन जाणण्याचा.
Friday, August 5, 2016
Gaurakshak aur Gyani Part 1 गोरक्षक और ज्ञानी भाग १
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